मन की वृत्ति

 अध्यात्म 

मन की वृत्ति 

अपने आप पर एक वार गौर करें।

प्रतिकात्मक लोगो 



वृति 

मन मनन करता है, चिंतन करता है,।

अनुसन्धान करता है, समाधान करता है ।।

उच्छृंखल बनता है, उन्मत्त होता है।

चंचल होकर नाश करता है।।

मुश्किलों को आसान करता है।

हर असंभव को सम्भव भी करता है।।

अरि- सदृश्य छिपकर सब कुछ समझ लेता है।

क्षण भर में क्या से क्या कर देता है ।।

उपासना यही है, पूजा भी यही है।

भाया और भ्रांति भी, जड़ता यही है।।

स्वाध्याय करता है, गोता लगाता है।

अचल- अटल कभी स्थिर हो जाता है।।

मानो सब कुछ यहीं है, जाना कहीं नहीं है।

कभी गंभीर चेतना में शांत होकर।।

रहस्य खोजता है ।

देव यही दानव भी यही, यति सती सन्यासी भी यहीं ।।

युक्ति यहीं मुक्ति यहीं, राह यहीं, राही भी यहीं।

कभी छद्म वेश में स्वयं को भी भूल जाता है।।

अपना पराया कोई नहीं उलझ कर रह जाता है।

मन में अपार शक्ति, यत्न से संभव है।

हीनता और दुर्बलता से सर्वथा असंभव है।।

ज्ञान और वैराग्य से होता यह अधीन।

शनै- शनै नहीं शीघ्रता से होता पराधीन।।

महापुरुष हुए जितने पहचान उनकी अपनी।

त्याग और तपस्या से कालजयी बने कभी।।

भोग और लिप्सा निराधार है मन की।

फिर भी चाह उसकी क्या नही अनुचीत ?

भय नहीं भविष्य का सब देख लूंगा।

मिथ्या गर्व मन का पल में कर लूंगा।।

ऋषि मुनि, तपस्वी सभी हुए मन के शिकार।

विरले नियन्त्रण कर पाते है,_नही करें हुंकार।।

होता जब मन निर्मल, पवित्र और मननशील।

छू लेता गगन और चांद को होकर यत्नशील।।

हुआ भ्रमित देख अर्जुन शक्ति मन की अपार।

कठिन दुर्जेय सर्वथा असंभव क्या हो सकूंगा पार ?

सुन संशय असमर्थता निर्बलता वीर अर्जुन का।

बोले श्री कृष्ण ! छोड़ो कायरता शोभा नहीं वीर पुंगव का।।

शनै _शनै वैराग्य और अभ्यास से।

साधु _संगति नाम चिंतन और अभ्यास से।।

सुनकर उपदेश श्री वासुदेव का, ध्यान किया अचुत्य केशव का।

जगी ज्योति अंतःकरण में, हुआ तब निर्द्वंद।

उठाया गांडीव हाथो में, छोड़ आसक्ति भव फंद।।

सच है मन के जीते जीत है, मन के हारे हार।

मानव तू ! तू अंश भगवान का अमूल्य तेरा जीवन _उपहार।।

सत्य और सुन्दर शिव भी यही।

स्वंय को जानकर ब्रह्म भी यही।।

मन ही देवता मन ही पूजा, मन मंदीर और न दूजा।

यही मनस्वी और तपस्वी, हो स्वाधीन बनता यशस्वी।।

न जाओ अन्यत्र, देखो शक्ति मन की अपार।

आसन लगाओ निज समाधी मे , मिलेंगे सृजनहार ।।

                                          

शिव प्रसाद साहु 

                                           


Arjun Rai

Journalist - Arjun Rai - kotwa East Champaran Bihar India.(Information services activities in East Champaran Bihar India)

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