कोटवा;बड़हरवा कला पक्षमी पंचायत सरकार भवन निर्माण पर ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन

 कोटवा;बड़हरवा कला पक्षमी पंचायत सरकार भवन निर्माण पर ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन 

पंचायत सरकार भवन भूमी चयन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए ग्रामीणऔर जनप्रतिनिधि। 

कोटवा (पूर्वी चंपारण): प्रखंड के ग्राम पंचायत राज बड़हरवा कला पश्चिमी में पंचायत सरकार भवन के निर्माण को लेकर भारी विरोध हो रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि वार्ड संख्या 5 में पहले से पंचायत भवन मौजूद होने और वहां पर्याप्त भूमि उपलब्ध होने के बावजूद निर्देशों की अनदेखी कर विवादित भूमि पर मनमाने ढंग से निर्माण कराया जा रहा है। इससे वार्ड संख्या 1 से 7 के निवासियों को असुविधा होगी। ग्रामीणों ने प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

भूमि विवाद ने बढ़ाई मुश्किलें

वार्ड संख्या 11, कल्याणपुर खास के निवासी जंगी राय और पप्पू राय का दावा है कि जिस भूमि पर पंचायत भवन बनाया जा रहा है, वह उनकी बंदोबस्ती भूमि है। उनके अनुसार, यह भूमि खाता संख्या 67, खेसरा 25, रकबा 18 डी, जमाबंदी संख्या 93 के तहत अंचल रिकॉर्ड में दर्ज है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना किसी पूर्व सूचना के उनकी भूमि पर लगे आम, लीची समेत अन्य पेड़ जबरन उखाड़ दिए गए और बलपूर्वक निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया।

सरपंच ने मुखिया पर लगाया मनमानी का आरोप

ग्राम पंचायत के निर्वाचित सरपंच लालन यादव ने इस निर्माण को लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग द्वारा 12 अगस्त 2022 को जारी निर्देश (पत्रांक 5637/7845) के अनुसार, पंचायत भवन का निर्माण ऐसी भूमि पर किया जाना चाहिए, जो जल निकायों और अधिकतर जनसंख्या की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हो। लेकिन इन निर्देशों की अनदेखी कर मनमाने तरीके से निर्माण कराया जा रहा है।

समाजसेवी ने दिया समर्थन

इस बीच, समाजसेवी नवीन कुमार मिश्रा ने बताया कि उनके पूर्वजों ने पंचायत भवन निर्माण के लिए अपनी भूमि दान दी थी और आवश्यकता पड़ने पर वे और भी भूमि देने के लिए तैयार हैं। पंचायत के 159 ग्रामीणों ने भूमी चयनऔर निर्माण के खिलाफ अपना हस्ताक्षर चिन्ह बना कर विरोध जताया है। 

प्रशासन ने किया आरोपों का खंडन

अंचलाधिकारी मोनिका आनंद ने ग्रामीणों के आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन दस्तावेजों के आधार पर ग्रामीण दावा कर रहे हैं, वे अंचल रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य के लिए सरकारी भूमि को ही प्राथमिकता दी गई है और सभी नियमों का पालन किया जा रहा है।

क्या होगा आगे?

ग्रामीणों के विरोध और प्रशासन के रुख के बाद यह मामला और तूल पकड़ सकता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस विवाद को कैसे सुलझाता है और क्या ग्रामीणों की मांगों पर पुनर्विचार किया जाएगा या नहीं।




एक टिप्पणी भेजें

ये पोस्ट आपको कैसा लगा जरूर बताए।✒️✒️✒️

और नया पुराने

संपर्क फ़ॉर्म