कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने नए आपराधिक कानून पर जताई आपत्ति।
लोकल पब्लिक न्यूज़/प्रतीकात्मक लोगो |
आज से भारत आपराधिक न्याय के एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। एक जुलाई से देश में आईपीसी सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं। नए कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन टल जाएंगे।
नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना अनिवार्य ।
राजद्रोह की जगह देशद्रोह बना अपराध।
भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त।
मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत की सजा।
एक जुलाई से लागू हो रहे आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है।
रविवार रात बारह बजे से यानी एक जुलाई की तारीख शुरू होने के बाद घटित हुए सभी अपराध नये कानून में दर्ज किये जाएंगे। एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं।
एक जुलाई से लागू हो रहे आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है।
नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे
साथ ही आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता आसान हुआ है। शिकायत, सम्मन और गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से न्याय की रफ्तार तेज होगी। अगर कानून में तय समय सीमा को ठीक उसी मंशा से लागू किया गया जैसा कि कानून लाने का उद्देश्य है तो निश्चय ही नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन लद जाएंगे।
तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी
आपराधिक मुकदमे की शुरुआत एफआइआर से होती है। नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने नए आपराधिक कानून पर जताई आपत्ति।
[ कांग्रेस समेत अन्य दलों ने जानें क्या दलील दी।
एक जुलाई 2024 से देश में 3 नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। ये नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं जिन्होंने भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता,1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह ली है। हालांकि, कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दल इन नए कानूनों पर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं और इस पर पुर्नविचार की मांग कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि विपक्षी दलों ने इस नए कानून पर क्या कहा है।
खरगे ने बताया बुलडोज़र न्याय।
चुनाव में राजनीतिक व नैतिक झटके के बाद मोदी जी और भाजपा वाले संविधान का आदर करने का ख़ूब दिखावा कर रहें हैं, पर सच तो ये है कि आज से जो आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन क़ानून लागू हो रहे हैं, वो 146 सांसदों को सस्पेंड कर जबरन पारित किए गए। INDIA अब ये “बुलडोज़र न्याय” संसदीय प्रणाली पर नहीं चलने देगा।
3 नए आपराधिक कानूनों पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, "...ये कानून इस देश में पुलिस राज की स्थापना करेंगे। ये आज से दो सामानांतर फौजदारी की प्रणालियों को जन्म देंगे। 30 जून 2024 की रात 12 बजे तक जो फौजदारी के मुकदमे लिखे गए हैं और अदालतों के संज्ञान में हैं, उन पर पुराने कानूनों के तहत कार्रवाई होगी। जो मामले 30 जून के बाद दर्ज किए जाएंगे उसमें नए कानून के तहत कार्रवाई होगी। भारत की जो न्यायिक प्रणाली है उसमें 3.4 करोड़ मामले लंबित हैं जिसमें से अधिकतर फौजदारी के मुकदमे हैं इसलिए इससे एक बहुत बड़ा संकट आने वाला है... इन कानूनों को संसद के समक्ष दोबारा रख कर एक संयुक्त संसदीय समिति के सामने भेजने के बाद फिर क्रियान्वयन के लिए भेजा जाना चाहिए..."
3 नए आपराधिक कानूनों पर समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने कहा, "यह कानून बहुत गलत तरीके से संसद में पास किए गए हैं। इन कानूनों पर कोई चर्चा नहीं है... अगर कोई विदेशों में भी अपने अधिकारों को लेकर विरोध करता है तो उन पर भी ये कानून लागू होंगे। कहीं न कहीं यह कानून पूरे देशवासियों पर शिकंजा कसने की तैयारी है।"कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, "विपक्ष की मांग है कि उसमें कई खंड ऐसे हैं जिन पर पुनर्विचार होना चाहिए लेकिन सरकार मान नहीं रही है और उसे लागू कर रही है।" नए आपराधिक कानूनों पर AAP नेता राघव चड्ढा ने कहा, "पहले इसका एक रिव्यू होना चाहिए...कानून को इतने आनन-फानन में लागू नहीं करना चाहिए। इसके बड़े दूरगामी परिणाम है।"
3 नए आपराधिक कानूनों पर शिवसेना(UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "...जब ये बिल संसदीय स्थायी समिति में लाया गया था तो सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई थी और उसमें क्या कमियां हैं वो सामने रखी थीं लेकिन उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया... 145 विपक्ष के सांसदों को निलंबित कर दिया गया था... हम चाहते थे इस पर चर्चा हो... "3 नए आपराधिक कानूनों पर कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने कहा, "हमारी चिंता यह थी कि संसद में इस पर पूरी तरह से चर्चा नहीं हुई क्योंकि पूरा विपक्ष निलंबित था...यह ऐसी बड़ी बात है जो हर किसी के जीवन को प्रभावित करती है और जिस तरह से हमारा देश आपराधिक क्षेत्र में काम करता। ]
नये कानून में आरोपपत्र की भी टाइम लाइन तय
दुष्कर्म के मामले में सात दिन के भीतर पीड़िता की चिकित्सा रिपोर्ट पुलिस थाने और कोर्ट भेजी जाएगी। अभी तक लागू सीआरपीसी में इसकी कोई समय सीमा तय नहीं थी। नया कानून आने के बाद समय में पहली कटौती यहीं होगी। नये कानून में आरोपपत्र की भी टाइम लाइन तय है।
आरोपपत्र दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 और 90 दिन का समय तो है लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी और जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। 180 दिन में आरोपपत्र दाखिल करना होगा। ऐसे में जांच चालू रहने के नाम पर आरोपपत्र को अनिश्चितकाल के लिए नहीं लटकाया जा सकता।
पुलिस के लिए टाइमलाइन तय करने के साथ ही अदालत के लिए भी समय सीमा तय की गई है। मजिस्ट्रेट 14 दिन के भीतर केस का संज्ञान लेंगे। केस ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में ट्रायल पर आ जाए इसके लिए कई काम किये गए हैं। प्ली बार्गेनिंग का भी समय तय है। प्ली बार्गेनिंग पर नया कानून कहता है कि अगर आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर आरोपी गुनाह स्वीकार कर लेगा तो सजा कम होगी।
ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा
अभी सीआरपीसीमें प्ली बार्गेनिंग के लिए कोई समय सीमा तय नहीं थी। नये कानून में केस में दस्तावेजों की प्रक्रिया भी 30 दिन में पूरी करने की बात है। फैसला देने की भी समय सीमा तय है। ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा।
नये कानून में दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय
लिखित कारण दर्ज करने पर फैसले की अवधि 45 दिन तक हो सकती है लेकिन इससे ज्यादा नहीं। नये कानून में दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी।
नये कानून में दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय
लिखित कारण दर्ज करने पर फैसले की अवधि 45 दिन तक हो सकती है लेकिन इससे ज्यादा नहीं। नये कानून में दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी।
क्या है नये कानून में
- पहली बार आतंकवादको परिभाषित किया गया
- राजद्रोह की जगह देशद्रोह बना अपराध
- मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत की सजा
- पीडि़त कहीं भी दर्ज करा सकेंगे एफआइआर, जांच की प्रगति रिपोर्ट भी मिलेगी
- राज्य को एकतरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं। पीड़ित का पक्ष सुना जाएगा
- तकनीक के इस्तेमाल पर जोर, एफआइआर, केस डायरी, चार्जशीट, जजमेंट सभी होंगे डिजिटल
- तलाशी और जब्ती में आडियो वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य
- गवाहों के लिए ऑडियो वीडियो से बयान रिकार्ड कराने का विकल्प
- सात साल या उससे अधिक सजा के अपराध में फारेंसिक विशेषज्ञ द्वारा सबूत जुटाना अनिवार्य
- छोटे मोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए समरी ट्रायल (छोटी प्रक्रिया में निपटारा) का प्रविधान
- पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर मिलेगी जमानत
- भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त
- इलेक्ट्रानिक डिजिटल रिकार्ड माने जाएंगे साक्ष्य
- भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी चलेगा मुकदमा
कौन सा कानून लेगा किसकी जगह
- इंडियन पीनल कोड (आइपीसी)1860 की जगह लागू हो रहा है - भारतीय न्याय संहिता 2023
- क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) 1973 की जगह लागू हो रहा है - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
- इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह लागू हो रहा है - भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023
विचार-विमर्श के बाद लाए गए हैं आपराधिक कानून : मेघवाल
एक जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं। इस बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने रविवार को कहा कि प्रौद्योगिकी और फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास को देखते हुए ये तीनों कानून जरूरी हैं। मेघवाल ने यह भी कहा कि तीनों आपराधिक कानून विचार-विमर्श के बाद ही लाए गए हैं। मेघवाल ने कहा-नए आपराधिक कानून एक जुलाई, 2024 से लागू किए जाएंगे। तीनों आपराधिक कानून विचार-विमर्श के बा
द लाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य देश की जनता को न्याय प्रदान करना है।